एक रिटायर्ड चार्टर्ड एकाउंटेंट बैंक एक्जीक्यूटिव अब प्रैक्टिस में ,की पत्नी , इंजिनियर बेटी, इकोनौमिस्ट बेटी व चार्टेड एकाउंटेंट बेटे की माँ , एक होम मेकर हूँ | कॉलेज की पढ़ाई के लिए बच्चों के घर छोड़ते ही , एकाकी होते हुए मन ने कलम उठा ली | उद्देश्य सामने रख कर जीना आसान हो जाता है | इश्क के बिना शायद एक कदम भी नहीं चला जा सकता ; इश्क वस्तु , स्थान , भाव, मनुष्य, मनुष्यता और रब से हो सकता है और अगर हम कर्म से इश्क कर लें ?मानवीय मूल्यों की रक्षा ,मानसिक अवसाद से बचाव व उग्रवादी ताकतों का हृदय परिवर्तन यही मेरी कलम का लक्ष्य है ,जीवन के सफर का सजदा है|
क्यों न हम अपने सँवेदन-शील मन को सृजन की डोर थमा दें ......दुःख रात की तरह काला और अन्तहीन , सृजन सुबह की तरह क़दमों को दिशा देता , आशा का टिमटिमाता दिया .... सृजन ही जीवन है ....कविता की आख़िरी पंक्ति को सकारात्मक ही होना है , ये मेरा ख़ुद से वायदा है , जैसे डूब-डूब कर ऊपर आना ही है.... जीवन यात्रा छोटी हो या लम्बी हो , उसकी मर्जी , इस सफर का सजदा तो अपने वश में है .....अभिवादन करें तो तन मन के साथ प्रकृति भी गाती है , ठुकराते हैं तो भी ऋणात्मक गूँज दूर तलक जाती है ; अन्दर कहीं कुछ मर जाता है , तूफ़ान से घिर आते हैं..... जब यात्रा ही सब कुछ है , और एक हद तक अपने बस में भी है तो क्यों न इसका सजदा करें ....
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