रविवार, 28 जुलाई 2013

पानी पर तेरा चेहरा

पानी पर तेरा चेहरा
ख़्वाबों ने बनाया
कई कई बार ...
रँग हकीकत ही न भरने आई


चलती फिरती मूरत में
ईमान का रँग
थोड़ा ज्यादा होगा ...
वो शहजादा होगा
हसरत कहने आई

पकड़ के आयेगा जब वो
मेरे ख़्वाबों की उँगली
नाक-नक़्शे तस्वीर में
जी उट्ठेंगे ...
महक उट्ठेगा घर अँगना
खुशबू सी आई

रास्ता देख रही है कलम
दम साधे हुए हैं अल्फाज़
वो रुत आई कि आई ...

शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह रचना कल मंगलवार (30-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  2. Rut jaldi hi aa jayegi aur choot jaynge alfaaz ... Fir bas hogi to ek kalam aur dil ke jajbaat ...

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  3. पकड़ के आयेगा जब वो
    मेरे ख़्वाबों की उँगली
    नाक-नक़्शे तस्वीर में
    जी उट्ठेंगे ...
    महक उट्ठेगा घर अँगना
    खुशबू सी आई

    Kya gazab rachana hai!

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