सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

उसकी आँखों में दिवाली उतर आई होगी

वो बन सकता था खुदा ,
अपनी कीमत उसने खुद ही , कमतर आँक ली होगी

क्या दिया तुमने जो दिया ,
हक़ उसी का था , चीज अपनी ही माँग ली होगी

तोड़ो न दिल , कौन जाने
किस दुआ में खुदाई उतर आई होगी

कोई एक दिल भी रौशन जो किया
कौन जाने उसकी आँखों में दिवाली उतर आई होगी

गैर नहीं है वो ,
अपना समझा तो दूर तलक हरियाली होगी ....

4 टिप्‍पणियां:

  1. कोई एक दिल भी रौशन जो किया
    कौन जाने उसकी आँखों में दिवाली उतर आई होगी
    गैर नहीं है वो ,
    अपना समझा तो दूर तलक हरियाली होगी ....
    ..सही मायने में दीप सा परोपकार करना ही दीपावली का मर्म है..
    सुन्दर सार्थक सन्देश
    दीपावली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें

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  2. वो बन सकता था खुदा ,
    अपनी कीमत उसने खुद ही , कमतर आँक ली होगी
    बहुत खुबसूरत, क्या बात है, दाद तो कुबूल करनी ही होगी.......

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