शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

गुम हो गये सफ़हे

गुम हो गये सफ़हे 

वक्त की किताब से 

ढूँढे से नहीं मिलते 

वो जो लोग थे नायाब से 


आब तो थी 

लश्करे-आफ़ताब सी 

ओझल हो गया वही चमन 

जिसकी तहरीर थी ख़्वाब सी 


वक्त के सीने पर 

उनके हस्ताक्षर तो मौजूद रहेंगे 

कोई सनद तो शेष रहे 

इस ज़मीं पर इंतिख़ाब सी