गुम हो गये सफ़हे
वक्त की किताब से
ढूँढे से नहीं मिलते
वो जो लोग थे नायाब से
आब तो थी
लश्करे-आफ़ताब सी
ओझल हो गया वही चमन
जिसकी तहरीर थी ख़्वाब सी
वक्त के सीने पर
उनके हस्ताक्षर तो मौजूद रहेंगे
कोई सनद तो शेष रहे
इस ज़मीं पर इंतिख़ाब सी
सूरज उगता है बस तेरे लिए ....... मौके , हिम्मत और उम्मीद लिए ...... ये सौगात है बस तेरे लिए .....
गुम हो गये सफ़हे
वक्त की किताब से
ढूँढे से नहीं मिलते
वो जो लोग थे नायाब से
आब तो थी
लश्करे-आफ़ताब सी
ओझल हो गया वही चमन
जिसकी तहरीर थी ख़्वाब सी
वक्त के सीने पर
उनके हस्ताक्षर तो मौजूद रहेंगे
कोई सनद तो शेष रहे
इस ज़मीं पर इंतिख़ाब सी