शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

A visit to Frankfurt


अभी मैं तुम्हारे शहर से गई नहीं हूँ

अभी तो बाक़ी हूँ मैं उन अहसासों में

अभी तो सुनाई देती है मुझे गोयथे यूनिवर्सिटेट और तुम्हारे घर के बीच की सड़क पर हवा को चीरती हुईं  गाड़ियों की सरसराहट भी 

अभी तो दिखाई देता है गोएथे की साइड वॉल पर लिखा हर्ज़िलिख विल्कोमेन ( हार्दिक स्वागत,Herzilich willkomen )भी 

तुम्हारे घर ,घर का इंटीरियर ,रास्ते ,

तुम्हारे शहर के स्टेशन , सब मुझे याद हैं जिन्हें मैंने आँख भर कर देखा 

क़ैद हो गये वो मेरे ज़हन के कैमरे में 

यूँ लगता था कि जैसे इस जनम में दुबारा वहाँ आना हो हो 

मन अपनी नाज़ुक उँगलियों से पकड़ लेता है वो सब भी जो है अनकहा , अनछुआ सा 

तुम्हारा शहर मुझे इक बार फिर पटरी पर ले आया है 

अभी तो ताज़ा हैं तुम्हारी जादू की झप्पियाँ 

अभी तुम्हारे शहर के क्रोसों , आइसक्रीम और भुट्टों का स्वाद मेरी ज़ुबान से गया नहीं है 

और तुम्हारे फ़्लैमकुकेन और सैलेडस भी ज़ुबान पर ही हैं 

वो सिर्फ़ स्वाद भर नहीं थे , उनमें छिपा था मेरी पसन्द के और दुनिया भर के क्यूजिंस हमें खिलानेका लगाव 

 ही गया है तुम्हारी आँखों में तिरते विष्वास और प्यार का रंग 

अभी मैं तुम्हारे शहर से गई कहाँ हूँ !