अपने दायरे से बाहर निकलें तो कुछ वतन की बात करें
काँटों से दामन छुड़ा लें तो खुशबु-ऐ-चमन की बात करें
उलझे हैं साथी में रोजी-रोटी में
हादसों से बाहर आ , सुकूने-वतन की बात करें
आसमान छूती हुई है हर शय
गिरी हमारी ही कीमत , अदबे-वतन की बात करें
इतरा कर झुक जाती वो डाली
मुस्कराती हो जिसकी हर कली , वफ़ा-ऐ-वतन की बात करें
सीने में समन्दर आ ठहरे
वीराँ भी गुलशन हो जाये , खुशबू-ऐ-वतन की बात करें
बिखरा हुआ तो हर फूल है उदास
सेहरे में गुँचा हो जाएँ , शाने-ऐ-वतन की बात करें
अपने दायरे से बाहर निकलें तो कुछ वतन की बात करें
काँटों से दामन छुड़ा लें तो खुशबु-ऐ-चमन की बात करें
रचना वर्मा की पोस्ट ' कहां है वो जज्बा ऐ आजादी ' पर आप आमंत्रित हैं ।
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंअपने दायरे से बाहर निकलें तो कुछ वतन की बात करें
जवाब देंहटाएंकाँटों से दामन छुड़ा लें तो खुशबु-ऐ-चमन की बात करें
सुन्दर आह्वान
सुन्दर रचना
अपने दायरे से बाहर निकलें तो कुछ वतन की बात करें
जवाब देंहटाएंकाँटों से दामन छुड़ा लें तो खुशबु-ऐ-चमन की बात करें...
सटीक सवाल हैं शारदा जी,
फिर भी चलिए जश्न-ए-आज़ादी मनाएं...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया शारदा जी,मन की व्यथा को शब्द दे दिये हैं आप ने
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आप एवं आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!