हम फ़िफ़्टीज़ ,सिक्स्टीज ,सेवेंटीज के लोग
हमारी पीढ़ी बहुत एक्सप्रेसिव नहीं है
हम वाओ ,मार्वलस कह कर एक्सक्लेमेशन मार्क्स वाले रिएक्शन नहीं देते
हम तो बस हैरानियों पर चुप से , जड़ से ,मूर्तिवत खड़े हो जाते हैं
तुम समझ सको तो समझ लो
हमारी आँखों से टपकती हुई कृतज्ञता , प्यार और हैरानी जान सको तो जान लो
हम तो बस तुम्हारे आस-पास रहना चाहेंगे
जो कुछ हमें हासिल है , हाजिर कर देंगे
हमारी सारी दुआएँ तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमती हैं , जान सको तो जान लो
तुम जब भी ख़फ़ा होगे , हम चुप ही नज़र आयेंगे या चुपचाप रो देंगे
मगर हम नाराज़ नहीं होते
क्योंकि अपने-आप से भी भला कोई ख़फ़ा होता है ?
जान सको तो जान लो
ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा , हम कोई कविता लिख देंगे
मन तो हमारा भी गाता है ख़ुशी में , रो देता है ग़म में
हमारी आँखों से बोलता हुआ मौन पढ़ सको तो पढ़ लो
हमारी पीढ़ी बहुत एक्सप्रेसिव नहीं है
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 8फरवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
Bahut badiya
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक विचार
जवाब देंहटाएंशारदा अरोरा जी आपने अपना परिचय बहुत ही बेहतरीन दिया है।
जवाब देंहटाएंआपके पास शब्द भंडार की कमी नहीं है।