सफर के सजदे में

सूरज उगता है बस तेरे लिए ....... मौके , हिम्मत और उम्मीद लिए ...... ये सौगात है बस तेरे लिए .....

मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

सलवट-सलवट चेहरा

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झुर्री-झुर्री हाथ हुए हैं ,सलवट-सलवट चेहरा  खो ही गया वो नन्हा बच्चा, बड़ा हुआ था पहन के जो  अरमानों का सेहरा  एक-एक कर कहाँ गये वो उम्र के ...
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रविवार, 30 मार्च 2025

दरो-दीवार बोलते ही रहे

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दरो - दीवार   बोलते   ही   रहे   हमने   कान   ही   न   रखे   सखी - सहेलियों   के   प्यार   ने   खींचा   भी   बहुत   हमने   ही   मुँह   फेर  ...
शनिवार, 15 मार्च 2025

दिल बाग-बाग है

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दिल   बाग - बाग   है   घर   बाग - बाग   है   आने   से   तुम्हारे   ये   फ़िज़ाँ   सब्ज़ - बाग   है   दिल   की   भाषा   दिल   ही   समझता   है...
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शनिवार, 28 दिसंबर 2024

गुम हो गये सफ़हे

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गुम हो गये सफ़हे  वक्त की किताब से  ढूँढे से नहीं मिलते  वो जो लोग थे नायाब से  आब तो थी  लश्करे-आफ़ताब सी  ओझल हो गया वही चमन  जिसकी तहरीर ...
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मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024

A visit to Frankfurt

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अभी मैं तुम्हारे शहर से गई नहीं हूँ  अभी तो मैं बाक़ी हूँ उन अहसासों में  अभी तो सुनाई देती है मुझे गोयथे यूनिवर्सिटेट और तुम्हारे घर के बीच...
सोमवार, 22 जुलाई 2024

माँ तुम अक्सर याद आती हो

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माँ तुम अक्सर याद आती हो  होती   हूँ   जब - जब   निराशा   के   गर्त   में   तुम   आ   कर   सहला   जाती   हो   कौन   आस - पास   घूमा   करता  ...
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गुरुवार, 18 जुलाई 2024

बच्चों के दम पर

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बच्चों के दम पर भी हम देखते हैं दुनिया  ये कभी भी , कहीं भी ले चलते हैं  कुछ भी ख़रीदवा देते हैं  और हम जैसे अपने माँ-बाप की उसी छत्रछाया मे...
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शारदा अरोरा
नैनीताल से अब रुद्रपुर
एक रिटायर्ड चार्टर्ड एकाउंटेंट बैंक एक्जीक्यूटिव अब प्रैक्टिस में ,की पत्नी , इंजिनियर बेटी, इकोनौमिस्ट बेटी व चार्टेड एकाउंटेंट बेटे की माँ , एक होम मेकर हूँ | कॉलेज की पढ़ाई के लिए बच्चों के घर छोड़ते ही , एकाकी होते हुए मन ने कलम उठा ली | उद्देश्य सामने रख कर जीना आसान हो जाता है | इश्क के बिना शायद एक कदम भी नहीं चला जा सकता ; इश्क वस्तु , स्थान , भाव, मनुष्य, मनुष्यता और रब से हो सकता है और अगर हम कर्म से इश्क कर लें ?मानवीय मूल्यों की रक्षा ,मानसिक अवसाद से बचाव व उग्रवादी ताकतों का हृदय परिवर्तन यही मेरी कलम का लक्ष्य है ,जीवन के सफर का सजदा है|
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