मंगलवार, 26 मई 2020

धूप

धूप की सुनहली बातें 
धूप से है रौशनी 
पेड़-पौधे , जीव-जन्तु ,सारे नज़ारे 
धूप दुनिया का सबब है 
धूप से है कुल जहान 

धूप गढ़ती है कसीदे ,
आदमी की शान में 
पाँव के छाले ये कहते ,
धूप के टुकड़ों ने लिक्खी 
तेरी हिम्मत है नादान 

आदमी को चाहिए 
गुनगुनी हो धूप तो 
मजा ले सुबह का 
दोपहर की धूप ने ही ,
लिखनी है तेरी दास्तान 

धूप है गर यातना तो 
धूप ही क़दमों का दम 
धूप कहती दूर मंज़िल 
राह में रुकना नहीं है 
धूप ही तो तेरी उड़ान 

धूप है दुनिया का चेहरा 
सामने है अलमस्त सहरा 
धूप तेरी मुश्किलें हैं 
धूप हैं तेरी झुर्रियां 
धूप है तेरे मन की हालत 
धूप है तेरे सफर का सजदा 
धूप ही ठंडी छाँव है 
खिल उठेगी जब-जब तेरे चेहरे पर 
बन के तेरी ही मृदु ,सौम्य मुस्कान 

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