हम सबने एक ही जाम पिया
थोड़ा सोडा , थोड़ी शराब ,
थोड़ा पानी
थोड़ा हाजमा ,थोड़ा नशा ,
थोड़ी ज़िन्दगानी
प्यास और नशे का फर्क ढूँढते रहे
ज़िन्दगानी का सबब खोजते रहे
उफन कर बहे नहीं ,
ख़्वाब ढूँढते रहे
ग़ाफ़िल हैं सफ़र में
अन्दाज़ ढूँढते रहे
थोड़ा सोडा , थोड़ी शराब ,
थोड़ा पानी
थोड़ा हाजमा ,थोड़ा नशा ,
थोड़ी ज़िन्दगानी
प्यास और नशे का फर्क ढूँढते रहे
ज़िन्दगानी का सबब खोजते रहे
उफन कर बहे नहीं ,
ख़्वाब ढूँढते रहे
ग़ाफ़िल हैं सफ़र में
अन्दाज़ ढूँढते रहे
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार !
:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : फागुन की धूप
उफन कर बहे नहीं ,
जवाब देंहटाएंख़्वाब ढूँढते रहे
...वाह...बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
sundar
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