वो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
और तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
कोई खुदा है तुझे संभाले हुए
कहाँ मुश्किल है कविता करना
मुश्किल है तो बस उसे जीना
कोई डोर है जो आड़े वक्त में भी
टूटने से है उसे बचाए हुए
इम्तिहान तो है तालीम का हिस्सा
और मौका क़ाबलियत दिखाने का
ठुकते पिटते बर्तन को कोई
ठह्कने से है बचाए हुए
देता है खुदा भी थपकियाँ
चाहिए बस पढ़ने को नजर
हिसाब क्यों कर देगा वो
छाया की तरह है जो संभाले हुए
वो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
जवाब देंहटाएंऔर तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
कोई खुदा है तुझे संभाले हुए...
बहुत ही उम्दा एहसास लिए हुए बेहतरीन कविता ,शारदा जी ।
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जवाब देंहटाएंIndeed very appealing creation ! I liked it genuinely.
Wonderful presentation !
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इम्तिहान तो है तालीम का हिस्सा
जवाब देंहटाएंऔर मौका क़ाबलियत दिखाने का
ठुकते पिटते बर्तन को कोई
ठह्कने से है बचाए हुए
खुदा पर भरोसा दिलाती अच्छी रचना
भरोसे की पंक्तियां.
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (21-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
वो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
जवाब देंहटाएंऔर तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
कोई खुदा है तुझे संभाले हुए
अहसास को खुबसूरत अल्फ़ाज देना तारीफ़ के क़ाबिल है |शुभकामनायें ....
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंइम्तिहान तो है तालीम का हिस्सा
जवाब देंहटाएंऔर मौका क़ाबलियत दिखाने का
ठुकते पिटते बर्तन को कोई
ठह्कने से है बचाए हुए
वाह जी, आत्म विशवास दिलाती आप की यह सुंदर रचना, धन्यवाद
कोमल भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
जवाब देंहटाएंऔर तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
कोई खुदा है तुझे संभाले हुए
Wah!Kya gazab alfaaz hain!Waise to sampoorn rachana aprateem hai!
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
हिसाब क्यों कर देगा वो जो है छाया की तरह संभाले हुए ..
जवाब देंहटाएंउस अदृश्य शक्ति का अपने आस पास अहसास जीवन की तमाम मुश्किलों में हौसला बनाये रखता है !
उम्दा रचना ,बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसुरत प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएंदेता है खुदा भी थपकियाँ
जवाब देंहटाएंचाहिए बस पढ़ने को नजर
हिसाब क्यों कर देगा वो
छाया की तरह है जो संभाले हुए
BAHUT SUNDAR ABHIVYAKTI.
SALAAM.
देता है खुदा भी थपकियाँ
जवाब देंहटाएंचाहिए बस पढ़ने को नजर
हिसाब क्यों कर देगा वो
छाया की तरह है जो संभाले हुए
बहुत ख़ूबसूरत रचना..