सूरज उगता है बस तेरे लिए .......
मौके , हिम्मत और उम्मीद लिए ......
ये सौगात है बस तेरे लिए .....
बुधवार, 4 नवंबर 2009
सोने दे मुझे शब भर को
सोने दे मुझे शब भर को कितनी है कीमत अपनों की आराम की कीमत कितनी है आँसू न कर पाये कीमत उधड़ा है जिगर सिलाई की कीमत कितनी है सब्र कितने वक्त का , ये बता ये सफर है या मुकाम आड़े वक्त के साथी , क्या यही है मेरा ईनाम सोने दे मुझे शब भर को
अपने मनोभावों को सुन्दर शब्द दिए हैं बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा भाव!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मनोभाव की कविता
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना...बधाई..
जवाब देंहटाएंनीरज