गुरुवार, 21 जुलाई 2011

माँ

२२ जुलाई , आज पूरे दस साल हुए माँ को दुनिया छोड़ कर गए हुए , श्रद्धांजलि स्वरूप कुछ पंक्तियाँ उनके लिये ......

जिन्दगी भर बचपन बोला करता
यादों की क्यारी में माँ का चेहरा ही डोला करता
न भूले वो माँ की गोदी , आराम की वो माया सी
जीवन की धूप में घनी छाया सी
पकड़ के उँगली जो सिखाती हमको , जीवन की डगर पर चलना
हाय अद्भुत है वो खजाना , वो ममता का पलना
गीले बिस्तर पर सो जाती , और शिकायत एक नहीं
चौबीस घंटे वो पहरे पर , अपने लिये पल शेष नहीं
होता है कोई ऐसा रिश्ता भी , भला कोई भूले से
छू ले जैसे ठण्डी हवा , जीवन की तपन में हौले से
न मन भूलता है वो महक माँ के आँचल की
न वो स्वाद माँ की उँगलियों का
जीवन भर साथ चले जैसे , उजली उजली
दुआ ही दुआ , विष्वास बनी वो फ़रिश्ता सी



आठ मई मदर्ज डे पर एक कविता माँ के लिये लिखी थी , उसका लिंक है ...माँ ...इसी पेज पर नीचे ...

5 टिप्‍पणियां:

  1. गीले बिस्तर पर सो जाती , और शिकायत एक नहीं
    चौबीस घंटे वो पहरे पर , अपने लिये पल शेष नहीं
    Mujhe apnee maa ke alaawa Dadimaa bhee yaad aa gayeen! Wahee niswarth pyaar.....waheee aseemit sewabhaav!

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  2. गीले बिस्तर पर सो जाती , और शिकायत एक नहीं
    चौबीस घंटे वो पहरे पर , अपने लिये पल शेष नहीं....

    माँ के प्रेम की कोई समानता नहीं..कहाँ मिलता है ऐसा निस्वार्थ प्यार..बहत मर्मस्पर्शी रचना

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  3. हृदयस्पर्शी रचना ....
    माँ तो माँ होती है ...उसका विकल्प कहाँ ?

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  4. माँ को विनम्र श्रद्धांजलि ... सुन्दर रचना

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