रविवार, 17 मई 2009

परीक्षाओं के नतीजे और बच्चों के दिलों की बढ़ी धड़कनें

ज़िन्दगी सिर्फ़ टूटती साँसों को जोड़ना ही नहीं है
ज़िन्दगी टूटती आसों को जोड़ना भी है
साँस चलती है आस के साथ-साथ
उम्मीद से इसको जिलाना भी है
मन के मरे हिस्से भी जी जाते
स्नेह के बँधन से , धड़कन को
ज़िन्दगी के घूँट पिलाना भी है

परीक्षाओं के नतीजे आने वाले हैं , बच्चों के दिलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं , कोई भी आसानी से अवसादग्रस्त हो सकता है , परीक्षा अच्छी नहीं हुई या परीक्षा-फल अच्छा नहीं आया , ऐसे किसी भी कारण से .....उम्मीद बच्चों ने खुद भी रखी और उनके अभिभावकों ने भी .....लाखों लोग गला काट प्रतियोगिताओं की पंक्ति में खड़े हैं , हर किसी ने बहुत आशा रखी होती है पर हर कोई कैसे सबसे आगे खड़ा हो सकता है ! परीक्षा के चन्द घंटे ही आपकी दिशा कैसे निर्धारित कर सकते हैं ? कुछ घन्टों की परीक्षा का नतीजा हमारी जिन्दगी को दाँव पर लगाना कैसे हो सकता है ? हम इतना जोश भरें अपने आप में कि जिन्दगी के कितने भी इम्तिहान आयें हम हँस कर जिन्दगी का पल्ला थामें .....

हर कोई एक दूसरे से अलग मगर एक अकेला विलक्षण है , उसी गुण को महसूस करने की व उभारने की कोशिश करें .....दुनिया में जिन्दगी से बढ़ कर सुन्दर कोई चीज नहीं है , बस बाकी बातों को सेकेंडरी करदें ; बाकी बातें तो जिन्दगी के गुणों को बढ़ाने वाली होती हैं .....ऐसे वक़्त में अभिभावकों , मित्रों सहित हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम अपने सामाजिक दायरे में जागरूक रहें कि कोई भी मन गिरा कर तो नहीं बैठा है .....इस बात का ध्यान रखें और उसे स्नेह की डोरी से उठाने की कोशिश करें..... खास कर माँ-बाप की ये जिम्मेदारी है कि वो अपने बच्चों को सुरक्षा की भावना से भर दें , उन्हें विश्वास दिलाएं कि परीक्षा फल उतना मायने नहीं रखता , बेशक दुनिया इधर से उधर हो जाए वो अपने बच्चे के साथ खड़े हैं क्योंकि उनके लिए उससे प्यारा और कोई है ही नहीं .....

बच्चों को किसी न किसी काम में लगाए रखें ताकि मस्तिष्क को कोई न कोई दिशा मिली रहे , एक तरफ निराशा हो भी तो सहारा देने के लिए दूसरी आशा उँगली पकड़ ले ....और बहुत से अवसर आयेंगे जब वह अपनी योग्यता परख पायेंगे , ऐसा विष्वास रखें ....

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