सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

मेरे हौसले को हवा देना


कुछ इस अनुपात में हिम्मत मुझे तुम देना


जितना दुःख हो , उतना हिम्मत को बढ़ा देना


तपते गर्म थपेड़ों में , कोई ठण्डी सी हवा देना


स्याह रातों में , दीपक को जगह देना


बन्जर हो धरती फ़िर भी , फूलों की खुशबू देना


नीम बेहोशी में भी ,धरातल का कोई ख्वाब थमा देना


क़दमों में दम हो तो , कुछ और तेज चला देना


इक मकसद ख़त्म हो तो , दूसरा पकड़ा देना


मेरे हिस्से का कोई राज , चुपके से बता देना


तू जीते या मैं जीतूँ मन को , मेरे हौसले को हवा देना

5 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ इस अनुपात में हिम्मत मुझे तुम देना
    जितना दुःख हो , उतना हिम्मत को बढ़ा देना ...

    गीतांजलि में टैगोर जी की पंक्तिया याद आती है-
    दुःख से पीड़ित हृदय को भले ही सांत्वना न दो,
    पर शक्ति दो
    दुखों पर मेरी विजय हो
    (अनुवादित)

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  2. तपते गर्म थपेड़ों में , कोई ठण्डी सी हवा देना



    स्याह रातों में , दीपक को जगह देना



    बन्जर हो धरती फ़िर भी , फूलों की खुशबू देना



    नीम बेहोशी में भी ,धरातल का कोई ख्वाब थमा देना

    सीमित शब्दों में असरधार ढ़ग से कहना कविता की विशेषता है उसी कौशल का पता आपकी कविताओं से लगता है। बहुत ही सुंदर कविताएं हैं।

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